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Channel: Bhagavad Gita As It Is - Hindi ( श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप )
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अध्याय 6 श्लोक 6 - 18 , BG 6 - 18 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 18जब योगी योगाभ्यास द्वारा अपने मानसिक कार्यकलापों को वश में कर लेता है और अध्यात्म में स्थित हो जाता है अर्थात् समस्त भौतिक इच्छाओं से रहित हो जाता है, तब वह योग में सुस्थिर कहा जाता...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 19 , BG 6 - 19 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 19जिस प्रकार वायुरहित स्थान में दीपक हिलता-डुलता नहीं, उसी तरह जिस योगी का मन वश में होता है, वह आत्मतत्त्व के ध्यान में सदैव स्थिर रहता है | अध्याय 6 : ध्यानयोगश्लोक 6 . 19यथा दीपो...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 20 , 21 , 22 , 23 BG 6 - 20 , 21 , 22 , 23 Bhagavad Gita...

 अध्याय 6 श्लोक 20-23सिद्धि की अवस्था में, जिसे समाधि कहते हैं, मनुष्य का मन योगाभ्यास के द्वारा भौतिक मानसिक क्रियाओं से पूर्णतया संयमित हो जाता है | इस सिद्धि की विशेषता यह है कि मनुष्य शुद्ध मन से...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 24 , BG 6 - 24 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 24मनुष्य को चाहिए कि संकल्प तथा श्रद्धा के साथ योगाभ्यास में लगे और पथ से विचलित न हो | उसे चाहिए कि मनोधर्म से उत्पन्न समस्त इच्छाओं को निरपवाद रूप से त्याग दे और इस प्रकार मन के...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 25 , BG 6 - 25 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 25धीरे-धीरे, क्रमशः पूर्ण विश्र्वासपूर्वक बुद्धि के द्वारा समाधि में स्थित होना चाहिए और इस प्रकार मन को आत्मा में ही स्थित करना चाहिए तथा अन्य कुछ भी नहीं सोचना चाहिए |   अध्याय 6 :...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 33 , BG 6 - 33 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 33अर्जुन ने कहा – हे मधुसूदन! आपने जिस योगपद्धति का संक्षेप में वर्णन किया है, वह मेरे लिए अव्यावहारिक तथा असहनीय है, क्योंकि मन चंचल तथा अस्थिर है |अध्याय 6 : ध्यानयोगश्लोक 6 ....

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 34 , BG 6 - 34 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 34हे कृष्ण! चूँकि मन चंचल (अस्थिर), उच्छृंखल, हठीला तथा अत्यन्त बलवान है, अतः मुझे इसे वश में करना वायु को वश में करने से भी अधिक कठिन लगता है |अध्याय 6 : ध्यानयोगश्लोक 6 . 34चञ्चलं हि...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 35 , BG 6 - 35 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 35भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा – हे महाबाहो कुन्तीपुत्र! निस्सन्देह चंचल मन को वश में करना अत्यन्त कठिन है; किन्तु उपयुक्त अभ्यास द्वारा तथा विरक्ति द्वारा ऐसा सम्भव है |अध्याय 6 :...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 36 , BG 6 - 36 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 36जिसका मन उच्छृंखल है, उसके लिए आत्म-साक्षात्कार कठिन कार्य होता है, किन्तु जिसका मन संयमित है और जो समुचित उपाय करता है उसकी सफलता ध्रुव है | ऐसा मेरा मत है |अध्याय 6 : ध्यानयोगश्लोक...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 37 , BG 6 - 37 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 37अर्जुन ने कहा: हे कृष्ण! उस असफल योगी की गति क्या है जो प्रारम्भ में श्रद्धापूर्वक आत्म-साक्षात्कार की विधि ग्रहण करता है, किन्तु बाद में भौतिकता के करण उससे विचलित हो जाता है और...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 38 , BG 6 - 38 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 38हे महाबाहु कृष्ण! क्या ब्रह्म-प्राप्ति के मार्ग से भ्रष्ट ऐसा व्यक्ति आध्यात्मिक तथा भौतिक दोनों ही सफलताओं से च्युत नहीं होता और छिन्नभिन्न बादल की भाँति विनष्ट नहीं हो जाता जिसके...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 39 , BG 6 - 39 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 39हे कृष्ण! यही मेरा सन्देह है, और मैं आपसे इसे पूर्णतया दूर करने की प्रार्थना कर रहा हूँ | आपके अतिरिक्त अन्य कोई ऐसा नहीं है, जो इस सन्देह को नष्ट कर सके |अध्याय 6 : ध्यानयोगश्लोक 6 ....

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 40 , BG 6 - 40 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 40भगवान् ने कहा – हे पृथापुत्र! कल्याण-कार्यों में निरत योगी का न तो इस लोक में और न परलोक में ही विनाश होता है | हे मित्र! भलाई करने वाला कभी बुरे से पराजित नहीं होता |अध्याय 6 :...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 41 , BG 6 - 41 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 41असफल योगी पवित्रात्माओं के लोकों में अनेकानेक वर्षों तक भोग करने के बाद या तो सदाचारी पुरुषों के परिवार में या धनवानों के कुल में जन्म लेता है |अध्याय 6 : ध्यानयोगश्लोक 6 . 41प्राप्य...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 42 , BG 6 - 42 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 42अथवा (यदि दीर्घकाल तक योग करने के बाद असफल रहे तो) वह ऐसे योगियों के कुल में जन्म लेता है जो अति बुद्धिमान हैं | निश्चय ही इस संसार में ऐसा जन्म दुर्लभ है |अध्याय 6 : ध्यानयोगश्लोक 6...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 43 , BG 6 - 43 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 43हे कुरुनन्दन! ऐसा जन्म पाकर वह अपने पूर्वजन्म की दैवी चेतना को पुनः प्राप्त करता है और पूर्ण सफलता प्राप्त करने के उद्देश्य से वह आगे उन्नति करने का प्रयास करता है |अध्याय 6 :...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 44 , BG 6 - 44 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 44अपने पूर्वजन्म की दैवी चेतना से वह न चाहते हुए भी स्वतः योग के नियमों की ओर आकर्षित होता है | ऐसा जिज्ञासु योगी शास्त्रों के अनुष्ठानों से परे स्थित होता है |अध्याय 6 : ध्यानयोगश्लोक...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 45 , BG 6 - 45 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 45और जब योगी कल्मष से शुद्ध होकर सच्ची निष्ठा से आगे प्रगति करने का प्रयास करता है, तो अन्ततोगत्वा अनेकानेक जन्मों के अभ्यास के पश्चात् सिद्धि-लाभ करके वह परम गन्तव्य को प्राप्त करता है...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 46 , BG 6 - 46 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 46योगी पुरुष तपस्वी से, ज्ञानी से तथा सकामकर्मी से बढ़कर होता है | अतः हे अर्जुन! तुम सभी प्रकार से योगी बनो |अध्याय 6 : ध्यानयोगश्लोक 6 . 46तपस्विभ्योSधिको योगी ज्ञानिभ्योSपि मतोSधिकः...

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अध्याय 6 श्लोक 6 - 47 , BG 6 - 47 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 6 श्लोक 47और समस्त योगियों में से जो योगी अत्यन्त श्रद्धापूर्वक मेरे परायण है, अपने अन्तःकरण में मेरे विषय में सोचता है और मेरी दिव्य प्रेमाभक्ति करता है वह योग में मुझसे परम अन्तरंग रूप में...

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