अध्याय 5 श्लोक 5 - 23 , BG 5 - 23 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 5 श्लोक 23 यदि इस शरीर को त्यागने के पूर्व कोई मनुष्य इन्द्रियों के वेगों को सहन करने तथा इच्छा एवं क्रोध के वेग को रोकने में समर्थ होता है, तो वह इस संसार में सुखी रह सकता है |अध्याय 5 :...
View Articleअध्याय 5 श्लोक 5 - 24 , BG 5 - 24 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 5 श्लोक 24 जो अन्तःकरण में सुख का अनुभव करता है, जो कर्मठ है और अन्तःकरण में ही रमण करता है तथा जिसका लक्ष्य अन्तर्मुखी होता है वह सचमुच पूर्ण योगी है | वह परब्रह्म में मुक्त पाता है और...
View Articleअध्याय 5 श्लोक 5 - 25 , BG 5 - 25 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 5 श्लोक 25 जो लोग संशय से उत्पन्न होने वाले द्वैत से परे हैं, जिनके मन आत्म-साक्षात्कार में रत हैं, जो समस्त जीवों के कल्याणकार्य करने में सदैव व्यस्त रहते हैं और जो समस्त पापों से रहित हैं, वे...
View Articleअध्याय 5 श्लोक 5 - 26 , BG 5 - 26 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 5 श्लोक 26 जो क्रोध तथा समस्त भौतिक इच्छाओं से रहित हैं, जो स्वरुपसिद्ध, आत्मसंयमी हैं और संसिद्धि के लिए निरन्तर प्रयास करते हैं उनकी मुक्ति निकट भविष्य में सुनिश्चित है |अध्याय 5 : कर्मयोग -...
View Articleअध्याय 5 श्लोक 5 - 27 , 28 , BG 5 - 27 , 28 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 5 श्लोक 27-28 समस्त इन्द्रियविषयों को बाहर करके, दृष्टि को भौंहों के मध्य में केन्द्रित करके, प्राण तथा अपान वायु को नथुनों के भीतर रोककर और इस तरह मन, इन्द्रियों तथा बुद्धि को वश में करके जो...
View Articleअध्याय 5 श्लोक 5 - 29 , BG 5 - 29 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 5 श्लोक 29 मुझे समस्त यज्ञों तथा तपस्याओं का परं भोक्ता, समस्त लोकों तथा देवताओं का परमेश्र्वर एवं समस्त जीवों का उपकारी एवं हितैषी जानकर मेरे भावनामृत से पूर्ण पुरुष भौतिक दुखों से शान्ति...
View Articleअध्याय 6 श्लोक 6 - 1 , BG 6 - 1 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 6 श्लोक 1 श्रीभगवान् ने कहा – जो पुरुष अपने कर्मफल के प्रति अनासक्त है और जो अपने कर्तव्य का पालन करता है, वही संन्यासी और असली योगी है | वह नहीं, जो न तो अग्नि जलाता है और न कर्म करता है...
View Articleअध्याय 6 श्लोक 6 - 2 , BG 6 - 2 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 6 श्लोक 2 हे पाण्डुपुत्र! जिसे संन्यास कहते हैं उसे ही तुम योग अर्थात् परब्रह्म से युक्त होना जानो क्योंकि इन्द्रियतृप्ति के लिए इच्छा को त्यागे बिना कोई कभी योगी नहीं हो सकता |अध्याय 6 :...
View Articleअध्याय 6 श्लोक 6 - 3 , BG 6 - 3 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 6 श्लोक 3 अष्टांगयोग के नवसाधक के लिए कर्म साधन कहलाता है और योगसिद्ध पुरुष के लिए समस्त भौतिक कार्यकलापों का परित्याग ही साधन कहा जाता है | अध्याय 6 : ध्यानयोगश्लोक 6 . 3आरूरूक्षोर्मुनेर्योगं...
View Articleअध्याय 6 श्लोक 6 - 4 , BG 6 - 4 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 6 श्लोक 4जब कोई पुरुष समस्त भौतिक इच्छाओं का त्यागा करके न तो इन्द्रियतृप्ति के लिए कार्य करता है और न सकामकर्मों में प्रवृत्त होता है तो वह योगारूढ कहलाता है | अध्याय 6 : ध्यानयोगश्लोक 6 ....
View Articleअध्याय 6 श्लोक 6 - 5 , BG 6 - 5 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 6 श्लोक 5मनुष्य को चाहिए कि अपने मन की सहायता से अपना उद्धार करे और अपने को नीचे ण गिरने दे | यह मन बद्धजीव का मित्र भी है और शत्रु भी | अध्याय 6 : ध्यानयोगश्लोक 6 . 5उद्धरेदात्मनात्मानं...
View Articleअध्याय 6 श्लोक 6 - 6 , BG 6 - 6 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 6 श्लोक 6जिसने मन को जीत लिया है उसके लिए मन सर्वश्रेष्ठ मित्र है, किन्तु जो ऐसा नहीं कर पाया इसके लिए मन सबसे बड़ा शत्रु बना रहेगा | अध्याय 6 : ध्यानयोगश्लोक 6 . 6बन्धुरात्मात्मनस्तस्य...
View Articleअध्याय 6 श्लोक 6 - 7 , BG 6 - 7 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 6 श्लोक 7जिसने मन को जीत लिया है, उसने पहले ही परमात्मा को प्राप्त कर लिया है, क्योंकि उसने शान्ति प्राप्त कर ली है | ऐसे पुरुष के लिए सुख-दुख, सर्दी-गर्मी एवं मान-अपमान एक से हैं | अध्याय 6 :...
View Articleअध्याय 6 श्लोक 6 - 8 , BG 6 - 8 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 6 श्लोक 8वह व्यक्ति आत्म-साक्षात्कार को प्राप्त तथा योगी कहलाता है जो अपने अर्जित ज्ञान तथा अनुभूति से पूर्णतया सन्तुष्ट रहता है | ऐसा व्यक्ति अध्यात्म को प्राप्त तथा जितेन्द्रिय कहलाता है | वह...
View Articleअध्याय 6 श्लोक 6 - 9 , 10 BG 6 - 9 , 10 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 6 श्लोक 9-10जब मनुष्य निष्कपट हितैषियों, प्रिय मित्रों, तटस्थों, मध्यस्थों, ईर्ष्यालुओं, शत्रुओं तथा मित्रों, पुण्यात्माओं एवं पापियों को समान भाव से देखता है, तो वह और भी उन्नत माना जाता है...
View Articleअध्याय 6 श्लोक 6 - 11 , 12 BG 6 - 11 , 12 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 6 श्लोक 11-12योगाभ्यास के लिए योगी एकान्त स्थान में जाकर भूमि पर कुशा बिछा दे और फिर उसे मृगछाला से ढके तथा ऊपर से मुलायम वस्त्र बिछा दे | आसन न तो बहुत ऊँचा हो, ण बहुत नीचा | यह पवित्र स्थान...
View Articleअध्याय 6 श्लोक 6 - 13 , 14 BG 6 - 13 , 14 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 6 श्लोक 13-14योगाभ्यास करने वाले को चाहिए कि वह अपने शरीर, गर्दन तथा सर को सीधा रखे और नाक के अगले सिरे पर दृष्टि लगाए | इस प्रकार वह अविचलित तथा दमित मन से, भयरहित, विषयीजीवन से पूर्णतया मुक्त...
View Articleअध्याय 6 श्लोक 6 - 15 , BG 6 - 15 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 6 श्लोक 15इस प्रकार शरीर, मन तथा कर्म में निरन्तर संयम का अब्यास करते हुए संयमित मन वाले योगी को इस भौतिक अस्तित्व की समाप्ति पर भगवद्धाम की प्राप्ति होती है | अध्याय 6 : ध्यानयोगश्लोक 6 . 15...
View Articleअध्याय 6 श्लोक 6 - 16 , BG 6 - 16 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 6 श्लोक 16हे अर्जुन! जो अधिक खाता है या बहुत कम खाता है, जो अधिक सोता है अथवा जो पर्याप्त नहीं सोता उसके योगी बनने की कोई सम्भावना नहीं है | अध्याय 6 : ध्यानयोगश्लोक 6 . 16नात्यश्र्नतस्तु...
View Articleअध्याय 6 श्लोक 6 - 17 , BG 6 - 17 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 6 श्लोक 17जो खाने, सोने, आमोद-प्रमोद तथा काम करने की आदतों में नियमित रहता है, वह योगाभ्यास द्वारा समस्त भौतिक क्लेशों को नष्ट कर सकता है | अध्याय 6 : ध्यानयोगश्लोक 6 . 17युक्ताहारविहारस्य...
View Article