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Channel: Bhagavad Gita As It Is - Hindi ( श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप )
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अध्याय 7 श्लोक 7 - 26 , BG 7 - 26 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 7 श्लोक 26हे अर्जुन! श्रीभगवान् होने के नाते मैं जो कुछ भूतकाल में घटित हो चुका है, जो वर्तमान में घटित हो रहा है और जो आगे होने वाला है, वह सब कुछ जानता हूँ | मैं समस्त जीवों को भी जानता हूँ,...

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अध्याय 7 श्लोक 7 - 27 , BG 7 - 27 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 7 श्लोक 27हे भरतवंशी! हे शत्रुविजेता! समस्त जीव जन्म लेकर इच्छा तथा घृणा से उत्पन्न द्वन्द्वों से मोहग्रस्त होकर मोह को प्राप्त होते हैं |अध्याय 7 : भगवद्ज्ञानश्लोक 7 . 27इच्छाद्वेषसमुत्थेन...

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अध्याय 7 श्लोक 7 - 28 , BG 7 - 28 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 7 श्लोक 28जिन मनुष्यों ने पूर्वजन्मों में तथा इस जन्म में पुण्यकर्म किये हैं और जिनके पापकर्मों का पूर्णतया उच्छेदन हो चुका होता है, वे मोह के द्वन्द्वों से मुक्त हो जाते हैं और वे संकल्पपूर्वक...

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अध्याय 7 श्लोक 7 - 29 , BG 7 - 29 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 7 श्लोक 29जो जरा तथा मृत्यु से मुक्ति पाने के लिए यत्नशील रहते हैं, वे बुद्धिमान व्यक्ति मेरी भक्ति की शरण ग्रहण करते हैं | वे वास्तव में ब्रह्म हैं क्योंकि वे दिव्य कर्मों के विषय में पूरी तरह...

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अध्याय 7 श्लोक 7 - 30 , BG 7 - 30 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 7 श्लोक 30जो मुझ परमेश्र्वर को मेरी पूर्ण चेतना में रहकर मुझे जगत् का, देवताओं का तथा समस्त यज्ञविधियों का नियामक जानते हैं, वे अपनी मृत्यु के समय भी मुझ भगवान् को जान और समझ सकते हैं |अध्याय 7...

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अध्याय 8 श्लोक 8 - 7 , BG 8 - 7 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 8 श्लोक 7अतएव, हे अर्जुन! तुम्हें सदैव कृष्ण रूप में मेरा चिन्तन करना चाहिए और साथ ही युद्ध करने के कर्तव्य को भी पूरा करना चाहिए | अपने कर्मों को मुझे समर्पित करके तथा अपने मन एवं बुद्धि को...

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अध्याय 8 श्लोक 8 - 8 , BG 8 - 8 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 8 श्लोक 8हे पार्थ! जो व्यक्ति मेरा स्मरण करने में अपना मन निरन्तर लगाये रखकर अविचलित भाव से भगवान् के रूप में मेरा ध्यान करता है, वह मुझको अवश्य ही प्राप्त होता है |अध्याय 8 :...

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अध्याय 8 श्लोक 8 - 9 , BG 8 - 9 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 8 श्लोक 9मनुष्य को चाहिए कि परमपुरुष का ध्यान सर्वज्ञ, पुरातन, नियन्ता, लघुतम से भी लघुतर, प्रत्येक के पालनकर्ता, समस्त भौतिकबुद्धि से परे, अचिन्त्य तथा नित्य पुरुष के रूप में करे | वे सूर्य की...

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अध्याय 8 श्लोक 8 - 10 , BG 8 - 10 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 8 श्लोक 10मृत्यु के समय जो व्यक्ति अपने प्राण को भौहों के मध्य स्थिर कर लेता है और योगशक्ति के द्वारा अविचलित मन से पूर्णभक्ति के साथ परमेश्र्वर के स्मरण में अपने को लगाता है, वह निश्चित रूप से...

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अध्याय 8 श्लोक 8 - 11 , BG 8 - 11 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 8 श्लोक 11जो वेदों के ज्ञाता हैं, जो ओंकार का उच्चारण करते हैं और जो संन्यास आश्रम के बड़े-बड़े मुनि हैं, वे ब्रह्म में प्रवेश करते हैं | ऐसी सिद्धि की इच्छा करने वाले ब्रह्मचर्यव्रत का अभ्यास...

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अध्याय 8 श्लोक 8 - 12 , BG 8 - 12 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 8 श्लोक 12समस्त ऐन्द्रिय क्रियाओं से विरक्ति को योग की स्थिति (योगधारणा) कहा जाता है | इन्द्रियों के समस्त द्वारों को बन्द करके तथा मन को हृदय में और प्राणवायु को सिर पर केन्द्रित करके मनुष्य...

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अध्याय 8 श्लोक 8 - 13 , BG 8 - 13 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 8 श्लोक 13इस योगाभ्यास में स्थित होकर तथा अक्षरों के परं संयोग यानी ओंकार का उच्चारण करते हुए यदि कोई भगवान् का चिन्तन करता है और अपने शरीर का त्याग करता है, तो वह निश्चित रूप से आध्यात्मिक...

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अध्याय 8 श्लोक 8 - 14 , BG 8 - 14 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 8 श्लोक 14हे अर्जुन! जो अनन्य भाव से निरन्तर मेरा स्मरण करता है उसके लिए मैं सुलभ हूँ, क्योंकि वह मेरी भक्ति में प्रवृत्त रहता है |अध्याय 8 : भगवत्प्राप्तिश्लोक 8 . 14अनन्यचेताः सततं यो मां...

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अध्याय 8 श्लोक 8 - 15 , BG 8 - 15 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 8 श्लोक 15मुझे प्राप्त करके महापुरुष, जो भक्तियोगी हैं, कभी भी दुखों से पूर्ण इस अनित्य जगत् में नहीं लौटते, क्योंकि उन्हें परम सिद्धि प्राप्त हो चुकी होती है |अध्याय 8 : भगवत्प्राप्तिश्लोक 8 ....

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अध्याय 8 श्लोक 8 - 16 , BG 8 - 16 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 8 श्लोक 16इस जगत् में सर्वोच्च लोक से लेकर निम्नतम सारे लोक दुखों के घर हैं, जहाँ जन्म तथा मरण का चक्कर लगा रहता है | किन्तु हे कुन्तीपुत्र! जो मेरे धाम को प्राप्त कर लेता है, वह फिर कभी जन्म...

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अध्याय 8 श्लोक 8 - 17 , BG 8 - 17 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 8 श्लोक 17मानवीय गणना के अनुसार एक हजार युग मिलकर ब्रह्मा का दिन बनता है और इतनी ही बड़ी ब्रह्मा की रात्रि भी होती है |अध्याय 8 : भगवत्प्राप्तिश्लोक 8 . 17सहस्त्रयुगपर्यन्तमहर्यद्ब्रह्मणो विदु:...

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अध्याय 8 श्लोक 8 - 18 - 19 , BG 8 - 18 - 19 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 8 श्लोक 18 - 19ब्रह्मा के दिन के शुभारम्भ में सारे जीव अव्यक्त अवस्था से व्यक्त होते हैं और फिर जब रात्रि आती है तो वे पुनः अव्यक्त में विलीन हो जाते हैं |जब-जब ब्रह्मा का दिन आता है तो सारे...

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अध्याय 8 श्लोक 8 - 20 , BG 8 - 20 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 8 श्लोक 20इसके अतिरिक्त एक अन्य अव्यय प्रकृति है, जो शाश्र्वत है और इस व्यक्त तथा अव्यक्त पदार्थ से परे है | यह परा (श्रेष्ठ) और कभी न नाश होने वाली है | जब इस संसार का सब कुछ लय हो जाता है, तब...

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अध्याय 8 श्लोक 8 - 21 , BG 8 - 21 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 8 श्लोक 21जिसे वेदान्ती अप्रकट और अविनाशी बताते हैं, जो परम गन्तव्य है, जिसे प्राप्त कर लेने पर कोई वापस नहीं आता, वही मेरा परमधाम है |अध्याय 8 : भगवत्प्राप्तिश्लोक 8 . 21अव्यक्तोSक्षर...

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अध्याय 8 श्लोक 8 - 22 , BG 8 - 22 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 8 श्लोक 22भगवान्, जो सबसे महान हैं. अनन्य भक्ति द्वारा ही प्राप्त किये जा सकते हैं | यद्यपि वे अपने धाम में विराजमान हैं, तो भी वे सर्वव्यापी हैं और उनमें सब कुछ स्थित है |अध्याय 8 :...

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