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Channel: Bhagavad Gita As It Is - Hindi ( श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप )
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अध्याय 17 श्लोक 17 - 22 , BG 17 - 22 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 17 श्लोक 22तथा जो दान किसी अपवित्र स्थान में, अनुचित समय में, किसी अयोग्य व्यक्ति को या बिना समुचित ध्यान तथा आदर से दिया जाता है, वह तामसी कहलाता है ।अध्याय 17 : श्रद्धा के विभागश्लोक...

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अध्याय 17 श्लोक 17 - 23 , BG 17 - 23 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 17 श्लोक 23सृष्टि के आदिकाल से ऊँ तत् सत् ये तीन शब्द परब्रह्म को सूचित करने के लिए प्रयुक्त किये जाते रहे हैं । ये तीनों सांकेतिक अभिव्यक्तियाँ ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते...

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अध्याय 17 श्लोक 17 - 24 , BG 17 - 24 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 17 श्लोक 24अतएव योगीजन ब्रह्म की प्राप्ति के लिए शास्त्रीय विधि के अनुसार यज्ञ, दान तथा तप की समस्त क्रियाओं का शुभारम्भ सदैव ओम् से करते हैं ।अध्याय 17 : श्रद्धा के विभागश्लोक 17.24तस्माद् ॐ...

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अध्याय 17 श्लोक 17 - 25 , BG 17 - 25 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 17 श्लोक 25मनुष्य को चाहिए कि कर्म फल की इच्छा किये बिना विविध प्रकार के यज्ञ, तप तथा दान को 'तत्'शब्द कह कर सम्पन्न करे । ऐसी दिव्य क्रियाओंका उद्देश्य भव-बन्धन से मुक्त होना है ।अध्याय 17 :...

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अध्याय 17 श्लोक 17 - 26 , 27 , BG 17 - 26 , 27 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 17 श्लोक 26 - 27परम सत्य भक्तिमय यज्ञ का लक्ष्य है और उसे सत् शब्द से अभिहित किया जाता है । हे पृथापुत्र! ऐसे यज्ञ का सम्पन्नकर्ता भी सत् कहलाता है जिस प्रकार यज्ञ, तप तथा दान के सारे कर्म भी...

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अध्याय 17 श्लोक 17 - 28 , BG 17 - 28 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 17 श्लोक 28हे पार्थ! श्रद्धा के बिना यज्ञ,दान या तप के रूप में जो भी किया जाता है, वह नश्र्वर है । वह असत् कहलाता है और इस जन्म तथा अगले जन्म - दोनों में ही व्यर्थ जाता है ।अध्याय 17 : श्रद्धा...

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अध्याय 18 श्लोक 18 - 1 , BG 18 - 1 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 18 श्लोक 1अर्जुन ने कहा - हे महाबाहु! मैं त्याग का उद्देश्य जानने का इच्छुक हूँ और हे केशिनिषूदन, हे हृषिकेश! मैं त्यागमय जीवन (संन्यास आश्रम) का भी उद्देश्य जानना चाहता हूँ ।अध्याय 18 :...

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Glorious Gita - Read Bhagavad Gita Online Multilinugal | भगवद गीता यथारूप...

Hare Krishna !!हरे कृष्ण  !!!! Important Message !!!! महत्वपूर्ण सूचना !!We all wanted to read Bhagavad Gita As It Is in Hindi online and even in our phones.We attempted to fulfill this dream with our...

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अध्याय 13 श्लोक 13 - 35 , BG 13 - 35 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 13 श्लोक 35जो लोग ज्ञान के चक्षुओं से शरीर तथा शरीर के ज्ञाता के अन्तर को देखते हैं और भव-बन्धन से मुक्ति की विधि को भी जानते हैं, उन्हें परमलक्ष्य प्राप्त होता है |अध्याय 13 : प्रकृति, पुरुष...

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अध्याय 18 श्लोक 18 - 2 , BG 18 - 2 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 18 श्लोक 2भगवान् ने कहा-भौतिक इच्छा पर आधारित कर्मों के परित्याग को विद्वान लोग संन्यास कहते हैं और समस्त कर्मों के फल-त्याग को बुद्धिमान लोग त्याग कहते हैं ।अध्याय 18 : उपसंहार - संन्यास की...

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अध्याय 18 श्लोक 18 - 3 , BG 18 - 3 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 18 श्लोक 3कुछ विद्वान घोषित करते हैं कि समस्त प्रकार के सकाम कर्मों को दोषपूर्ण समझ कर त्याग देना चाहिए | किन्तु अन्य विद्वान् मानते हैं कि यज्ञ, दान तथा तपस्या के कर्मों को कभी नहीं त्यागना...

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अध्याय 18 श्लोक 18 - 4 , BG 18 - 4 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 18 श्लोक 4हे भरतश्रेष्ठ! अब त्याग के विषय में मेरा निर्णय सुनो । हे नरशार्दूल! शास्त्रों में त्याग तीन तरह का बताया गया है ।अध्याय 18 : उपसंहार - संन्यास की सिद्धिश्लोक 18.4निश्र्चयं श्रृणु मे...

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अध्याय 18 श्लोक 18 - 5 , BG 18 - 5 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 18 श्लोक 5यज्ञ, दान तथा तपस्या के कर्मों का कभी परित्याग नहीं करना चाहिए, उन्हें अवश्य सम्पन्न करना चाहिए । निस्सन्देह यज्ञ, दान तथा तपस्या महात्माओं को भी शुद्ध बनाते हैं ।अध्याय 18 : उपसंहार...

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अध्याय 18 श्लोक 18 - 6 , BG 18 - 6 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 18 श्लोक 6इन सारे कार्यों को किसी प्रकार की आसक्ति या फल की आशा के बिना सम्पन्न करना चाहिए । हे पृथापुत्र! इन्हें कर्तव्य मानकर सम्पन्न किया जाना चाहिए । यही मेरा अन्तिम मत है ।अध्याय 18 :...

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अध्याय 18 श्लोक 18 - 55 , BG 18 - 55 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 18 श्लोक 55केवल भक्ति से मुझ भगवान् को यथारूप में जाना जा सकता है | जब मनुष्य ऐसी भक्ति से मेरे पूर्ण भावनामृत में होता है, तो वह वैकुण्ठ जगत् में प्रवेश कर सकता है |अध्याय 18 : उपसंहार -...

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अध्याय 18 श्लोक 18 - 56 , BG 18 - 56 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 18 श्लोक 56मेरा शुद्ध भक्त मेरे संरक्षण में, समस्त प्रकार के कार्यों में संलग्न रह कर भी मेरी कृपा से नित्य तथा अविनाशी धाम को प्राप्त होता है |अध्याय 18 : उपसंहार - संन्यास की सिद्धिश्लोक...

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अध्याय 18 श्लोक 18 - 57 , BG 18 - 57 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 18 श्लोक 57सारे कार्यों के लिए मुझ पर निर्भर रहो और मेरे संरक्षण में सदा कर्म करो | ऐसी भक्ति में मेरे प्रति पूर्णतया सचेत रहो |अध्याय 18 : उपसंहार - संन्यास की सिद्धिश्लोक 18.57चेतसा...

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अध्याय 18 श्लोक 18 - 58 , BG 18 - 58 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 18 श्लोक 58यदि तुम मुझसे भावनाभावित होगे, तो मेरी कृपा से तुम बद्ध जीवन के सारे अवरोधों को लाँघ जाओगे | लेकिन यदि तुम मिथ्या अहंकारवश ऐसी चेतना में कर्म नहीं करोगे और मेरी बात नहीं सुनोगे, तो...

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अध्याय 18 श्लोक 18 - 59 , BG 18 - 59 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 18 श्लोक 59यदि तुम मेरे निर्देशानुसार कर्म नहीं करते और युद्ध में प्रवृत्त नहीं होते हो, तो तुम कुमार्ग पर जाओगे । तुम्हें अपने स्वभाव वश युद्ध में लगना पड़ेगा ।अध्याय 18 : उपसंहार - संन्यास की...

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अध्याय 18 श्लोक 18 - 60 , BG 18 - 60 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 18 श्लोक 60इस समय तुम मोहवश मेरे निर्देशानुसार कर्म करने से मना कर रहे हो । लेकिन हे कुन्तीपुत्र! तुम अपने ही स्वभाव से उत्पन्न कर्म द्वारा बाध्य होकर वही सब करोगे ।अध्याय 18 : उपसंहार -...

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