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Channel: Bhagavad Gita As It Is - Hindi ( श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप )
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अध्याय 9 श्लोक 9 - 21 , BG 9 - 21 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 9 श्लोक 21इस प्रकार जब वे (उपासक) विस्तृत स्वर्गिक इन्द्रियसुख को भोग लेते हैं और उनके पुण्यकर्मों के फल क्षीण हो जाते हैं तो वे मृत्युलोक में पुनः लौट आते हैं | इस प्रकार जो तीनों वेदों के...

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अध्याय 9 श्लोक 9 - 22 , BG 9 - 22 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 9 श्लोक 22किन्तु जो लोग अनन्यभाव से मेरे दिव्यस्वरूप का ध्यान करते हुए निरन्तर मेरी पूजा करते हैं, उनकी जो आवश्यकताएँ होती हैं, उन्हें मैं पूरा करता हूँ और जो कुछ उनके पास है, उसकी रक्षा करता...

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अध्याय 9 श्लोक 9 - 23 , BG 9 - 23 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 9 श्लोक 23हे कुन्तीपुत्र! जो लोग अन्य देवताओं के भक्त हैं और उनकी श्रद्धापूर्वक पूजा कटे हैं, वास्तव में वे भी मेरी पूजा करते हैं, किन्तु वे यह त्रुटिपूर्ण ढंग से करते हैं |अध्याय 9 : परम गुह्य...

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अध्याय 9 श्लोक 9 - 24 , BG 9 - 24 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 9 श्लोक 24मैं ही समस्त यज्ञों का एकमात्र भोक्ता तथा स्वामी हूँ | अतः जो लोग मेरे वास्तविक दिव्य स्वभाव को नहीं पहचान पाते, वे नीचे गिर जाते हैं |अध्याय 9 : परम गुह्य ज्ञानश्लोक 9 . 24अहं हि...

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अध्याय 9 श्लोक 9 - 25 , BG 9 - 25 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 9 श्लोक 25जो देवताओं की पूजा करते हैं, वे देवताओं के बीच जन्म लेंगे, जो पितरों को पूजते हैं, वे पितरों के पास जाते हैं, जो भूत-प्रेतों की उपासना करते हैं, वे उन्हीं के बीच जन्म लेते हैं और जो...

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अध्याय 9 श्लोक 9 - 26 , BG 9 - 26 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 9 श्लोक 26यदि कोई प्रेम तथा भक्ति के साथ मुझे पत्र, पुष्प, फल या जल प्रदान करता है, तो मैं उसे स्वीकार करता हूँ |अध्याय 9 : परम गुह्य ज्ञानश्लोक 9 . 26पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या...

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अध्याय 9 श्लोक 9 - 27 , BG 9 - 27 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 9 श्लोक 27हे कुन्तीपुत्र! तुम जो कुछ करते हो, जो कुछ खाते हो, जो कुछ अर्पित करते हो या दान देते हो और जो भी तपस्या करते हो, उसे मुझे अर्पित करते हुए करो |अध्याय 9 : परम गुह्य ज्ञानश्लोक 9 ....

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अध्याय 9 श्लोक 9 - 28 , BG 9 - 28 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 9 श्लोक 28इस तरह तुम कर्म के बन्धन तथा इसके शुभाशुभ फलों से मुक्त हो सकोगे | इस संन्यासयोग में अपने चित्त को स्थिर करके तुम मुक्त होकर मेरे पास आ सकोगे |अध्याय 9 : परम गुह्य ज्ञानश्लोक 9 ....

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अध्याय 9 श्लोक 9 - 29 , BG 9 - 29 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 9 श्लोक 29मैं न तो किसी से द्वेष करता हूँ, न ही किसी के साथ पक्षपात करता हूँ | मैं सबों के लिए समभाव हूँ | किन्तु जो भी भक्तिपूर्वक मेरी सेवा करता है, वह मेरा मित्र है, मुझमें स्थित रहता है और...

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अध्याय 9 श्लोक 9 - 30 , BG 9 - 30 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 9 श्लोक 30यदि कोई जघन्य से जघन्य कर्म करता है, किन्तु यदि वह भक्ति में रत रहता है तो उसे साधु मानना चाहिए, क्योंकि वह अपने संकल्प में अडिग रहता है |अध्याय 9 : परम गुह्य ज्ञानश्लोक 9 . 30अपि...

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अध्याय 9 श्लोक 9 - 31 , BG 9 - 31 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 9 श्लोक 31वह तुरन्त धर्मात्मा बन जाता है और स्थायी शान्ति को प्राप्त होता है | हे कुन्तीपुत्र! निडर होकर घोषणा कर दो कि मेरे भक्त का कभी विनाश नहीं होता है |अध्याय 9 : परम गुह्य ज्ञानश्लोक 9 ....

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अध्याय 9 श्लोक 9 - 32 , BG 9 - 32 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 9 श्लोक 32हे पार्थ! जो लोग मेरी शरण ग्रहण करते हैं, वे भले ही निम्नजन्मा स्त्री, वैश्य (व्यापारी) तथा शुद्र (श्रमिक) क्यों न हों, वे परमधाम को प्राप्त करते हैं |अध्याय 9 : परम गुह्य ज्ञानश्लोक...

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अध्याय 9 श्लोक 9 - 33 , BG 9 - 33 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 9 श्लोक 33फिर धर्मात्मा ब्राह्मणों, भक्तों तथा राजर्षियों के लिए तो कहना ही क्या है! अतः इस क्षणिक दुखमय संसार में आ जाने पर मेरी प्रेमाभक्ति में अपने आपको लगाओ |अध्याय 9 : परम गुह्य ज्ञानश्लोक...

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अध्याय 9 श्लोक 9 - 34 , BG 9 - 34 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 9 श्लोक 34अपने मन को मेरे नित्य चिन्तन में लगाओ, मेरे भक्त बनो, मुझे नमस्कार करो और मेरी ही पूजा करो | इस प्रकार मुझमें पूर्णतया तल्लीन होने पर तुम निश्चित रूप से मुझको प्राप्त होगे |अध्याय 9 :...

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अध्याय 10 श्लोक 10 - 1 , BG 10 - 1 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 10 श्लोक 1श्रीभगवान् ने कहा – हे महाबाहु अर्जुन! और आगे सुनो | चूँकि तुम मेरे प्रिय सखा हो, अतः मैं तुम्हारे लाभ के लिए ऐसा ज्ञान प्रदान करूँगा, जो अभि तक मेरे द्वारा बताये गये ज्ञान से श्रेष्ठ...

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अध्याय 10 श्लोक 10 - 2 , BG 10 - 2 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 10 श्लोक 2न तो देवतागण मेरी उत्पत्ति या ऐश्र्वर्य को जानते हैं और न महर्षिगण ही जानते हैं, क्योंकि मैं सभी प्रकार से देवताओं और महर्षियों का भी कारणस्वरूप (उद्गम) हूँ |अध्याय 10 : श्रीभगवान् का...

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अध्याय 10 श्लोक 10 - 3 , BG 10 - 3 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 10 श्लोक 3जो मुझे अजन्मा, अनादि, समस्त लोकों के स्वामी के रूप में जानता है, मनुष्यों में केवल वही मोहरहित और समस्त पापों से मुक्त होता है |अध्याय 10 : श्रीभगवान् का ऐश्वर्यश्लोक 10 . 3यो...

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अध्याय 10 श्लोक 10 - 4 , 5 , BG 10 - 4 , 5 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 10 श्लोक 4 - 5बुद्धि, ज्ञान, संशय तथा मोह से मुक्ति, क्षमाभाव, सत्यता, इन्द्रियनिग्रह, मननिग्रह, सुख तथा दुख, जन्म, मृत्यु, भय, अभय, अहिंसा, समता, तुष्टि, तप, दान, यश तथा अपयश – जीवों के ये...

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अध्याय 10 श्लोक 10 - 6 , BG 10 - 6 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 10 श्लोक 6सप्तर्षिगण तथा उनसे भी पूर्व चार अन्य महर्षि एवं सारे मनु (मानवजाति के पूर्वज) सब मेरे मन से उत्पन्न हैं और विभिन्न लोकों में निवास करने वाले सारे जीव उनसे अवतरित होते हैं |अध्याय 10...

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अध्याय 10 श्लोक 10 - 7 , BG 10 - 7 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 10 श्लोक 7जो मेरे इस ऐश्र्वर्य तथा योग से पूर्णतया आश्र्वस्त है, वह मेरी अनन्य भक्ति में तत्पर होता है | इसमें तनिक भी सन्देह नहीं है |अध्याय 10 : श्रीभगवान् का ऐश्वर्यश्लोक 10 . 7एतां विभूतिं...

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