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Channel: Bhagavad Gita As It Is - Hindi ( श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप )
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अध्याय 14 श्लोक 14 - 16 , BG 14 - 16 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 14 श्लोक 16पुण्यकर्म का फल शुद्ध होता है और सात्त्विक कहलाता है । लेकिन रजोगुण में सम्पन्न कर्म का फल दुख होता है और तमोगुण में किये गये कर्म मूर्खता में प्रतिफलित होते हैं ।अध्याय 14 : प्रकृति...

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अध्याय 14 श्लोक 14 - 17 , BG 14 - 17 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 14 श्लोक 17सतोगुण से वास्तविक ज्ञान उत्पन्न होता है, रजोगुण से लोभ उत्पन्न होता है और तमोगुण से अज्ञान, प्रमाद और मोह उत्पन्न होता हैं |अध्याय 14 : प्रकृति के तीन गुणश्लोक...

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अध्याय 14 श्लोक 14 - 18 , BG 14 - 18 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 14 श्लोक 18सतोगुणी व्यक्ति क्रमशः उच्च लोकों को ऊपर जाते हैं,रजोगुणी इसी पृथ्वीलोक में रह जाते हैं, और जो अत्यन्त गर्हित तमोगुण में स्थित हैं, वे नीचे नरक लोकों को जाते हैं ।‌अध्याय 14 :...

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अध्याय 14 श्लोक 14 - 19 , BG 14 - 19 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 14 श्लोक 19जब कोई यह अच्छी तरह जान लेता है कि समस्त कार्यों में प्रकृति के तीनों गुणों के अतिरिक्त अन्य कोई करता नहीं है और जब वह परमेश्र्वर को जान लेता है, जो इन तीनों गुणों से परे है, तो वह...

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अध्याय 14 श्लोक 14 - 20 , BG 14 - 20 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 14 श्लोक 20जब देहधारी जीव भौतिक शरीर से सम्बद्ध इन तीनों गुणों को लाँघने में समर्थ होता है, तो वह जन्म, मृत्यु, बुढ़ापा तथा अनेक कष्टों से मुक्त हो सकता है और इसी जीवन में अमृत का भोग कर सकता है...

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अध्याय 14 श्लोक 14 - 21 , BG 14 - 21 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 14 श्लोक 21अर्जुन ने पूछा - हे भगवान्! जो इन तीनों गुणों से परे है, वह किन लक्षणों के द्वारा जाना जाता है ? उसका आचरण कैसा होता है ? और वह प्रकृति के गुणों को किस प्रकार लाँघता है ?अध्याय 14 :...

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अध्याय 14 श्लोक 14 - 22 , 23 , 24 , 25 , BG 14 - 22 , 23 , 24 , 25 Bhagavad...

 अध्याय 14 श्लोक 22 - 25भगवान् ने कहा - हे पाण्डुपुत्र! जो प्रकाश, आसक्ति तथा मोह के उपस्थित होने पर न तो उनसे घृणा करता है और न लुप्त हो जाने पर उनकी इच्छा करता है, जो भौतिक गुणों की इन समस्त...

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अध्याय 14 श्लोक 14 - 26 , BG 14 - 26 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 14 श्लोक 26जो समस्त परिस्थितियों में अविचलित भाव से पूर्ण भक्ति में प्रवृत्त होता है, वह तुरन्त ही प्रकृति के गुणों को लाँघ जाता है और इस प्रकार ब्रह्म के स्तर तक पहुँच जाता है |अध्याय 14 :...

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अध्याय 14 श्लोक 14 - 27 , BG 14 - 27 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 14 श्लोक 27और मैं ही उस निराकार ब्रह्म का आश्रय हूँ, जो अमर्त्य, अविनाशी तथा शाश्र्वत है और चरम सुख का स्वाभाविक पद है |अध्याय 14 : प्रकृति के तीन गुणश्लोक 14.27ब्रह्मणो हि...

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अध्याय 15 श्लोक 15 - 1 , BG 15 - 1 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 15 श्लोक 1भगवान् ने कहा - कहा जाता है कि एक शाश्र्वत वृक्ष है, जिसकी जड़े तो ऊपर की ओर हैं और शाखाएँ नीचे की ओर तथा पत्तियाँ वैदिक स्तोत्र हैं । जो इस वृक्ष को जानता है, वह वेदों का ज्ञाता है...

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अध्याय 15 श्लोक 15 - 2 , BG 15 - 2 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 15 श्लोक 2इस वृक्ष की शाखाएँ ऊपर तथा नीचे फैली हुई हैं और प्रकृति के तीन गुणों द्वारा पोषित हैं । इसकी टहनियाँ इन्द्रियविषय हैं । इस वृक्ष की जड़ें नीचे की ओर भी जाती हैं, जो मानवसमाज के सकाम...

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अध्याय 15 श्लोक 15 - 3 , 4 , BG 15 - 3 , 4 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 15 श्लोक 3 - 4इस वृक्ष के वास्तविक स्वरूप का अनुभव इस जगत् में नहीं किया जा सकता | कोई भी नहीं समझ सकता कि इसका आदि कहाँ है, अन्त कहाँ है या इसका आधार कहाँ है? लेकिन मनुष्य को चाहिए कि इस दृढ...

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अध्याय 15 श्लोक 15 - 15, BG 15 - 5 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 15 श्लोक 5जो झूठी प्रतिष्ठा, मोह तथा कुसंगति से मुक्त हैं, जो शाश्र्वत तत्त्व को समझते हैं, जिन्होंने भौतिक काम को नष्ट कर दिया है, जो सुख तथा दुख के द्वन्द्व से मुक्त हैं और जो मोहरहित होकर...

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अध्याय 15 श्लोक 15 - 6 , BG 15 - 6 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 15 श्लोक 6वह मेरा परम धाम न तो सूर्य या चन्द्र के द्वारा प्रकाशित होता है और न अग्नि या बिजली से । जो लोग वहाँ पहुँच जाते हैं, वे इस भौतिक जगत् में फिर से लौट कर नहीं आते ।अध्याय 15 :...

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अध्याय 15 श्लोक 15 - 7 , BG 15 - 7 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 15 श्लोक 7इस बद्ध जगत् में सारे जीव मेरे शाश्र्वत अंश हैं । बद्ध जीवन के कारण वे छहों इन्द्रियों के घोर संघर्ष कर रहे हैं, जिसमें मन भी सम्मिलित है ।अध्याय 15 : पुरुषोत्तम योगश्लोक 15.7ममैवांशो...

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अध्याय 15 श्लोक 15 - 8 , BG 15 - 8 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 15 श्लोक 8इस संसार में जीव अपनी देहात्म बुद्धि को एक शरीर से दूसरे में उसी तरह ले जाता है, जिस प्रकार वायु सुगन्धि को ले जाता है । इस प्रकार वह एक शरीर धारण करता है और फिर इसे त्याग कर दूसरा...

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अध्याय 15 श्लोक 15 - 9 , BG 15 - 9 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 15 श्लोक 9इस प्रकार दूसरा स्थूल शरीर धारण करके जीव विशेष प्रकार का कान, आँख, जीभ, नाक तथा स्पर्श इन्द्रिय (त्वचा) प्राप्त करता है, जो मन के चारों ओर संपुंजित है | इस प्रकार वह इन्द्रियविषयों के...

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अध्याय 15 श्लोक 15 - 10 , BG 15 - 10 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 15 श्लोक 10मूर्ख न तो समझ पाते हैं कि जीव किस प्रकार अपना शरीर त्याग सकता है, न ही वे यह समझ पाते हैं कि प्रकृति के गुणों के अधीन वह किस तरह के शरीर का भोग करता है । लेकिन जिसकी आँखें ज्ञान से...

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अध्याय 15 श्लोक 15 - 11 , BG 15 - 11 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 15 श्लोक 11आत्म-साक्षात्कार को प्राप्त प्रयत्नशील योगीजन यह स्पष्ट रूप से देख सकते हैं । लेकिन जिनके मन विकसित नहीं हैं और जो आत्म-साक्षात्कार को प्राप्त नहीं हैं, वे प्रयत्न करके भी यह नहीं...

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अध्याय 15 श्लोक 15 - 16 , BG 15 - 16 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 15 श्लोक 16जीव दो प्रकार हैं - च्युत तथा अच्युत । भौतिक जगत् में प्रत्येक जीव च्युत (क्षर) होता है और आध्यात्मिक जगत् में प्रत्येक जीव अच्युत कहलाता है ।अध्याय 15 : पुरुषोत्तम योगश्लोक...

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